Tuesday, November 29, 2011

यदि मैं हाथी होता !
घोड़ा बंदर रीछ होता
यदि मैं सचमुच हाथी होता
दौड़ा दौड़ा जयपुर जाता
संगी साथी सब ले जाता
होली वहां मनाता
रंग गुलाल उड़ाता
जगर मगर परिधान पहनता
पहला नम्बर मुझको मिलता
पायल/घुंघरू पाँव बाँधता
कभी नाचा ऐसा नचता
सबका जी बहलाता
करतब अजब दिखाता
[फ्रिदिरिक्तन
काम इनाम
काम काम ,बस ,काम
जो करता है काम
मिलता उसे इनाम
नाम नाम बीएसननाम
करे kk

Saturday, November 26, 2011

सुन सुन सुन ओ विज्ञानी !

सुन सुन सुन विज्ञानी
सौ सौ काम भलाई के
पर कुछ काम बुराई के
खेल खिलौनें सुख साधन
बच्चे करते अभिबादन
कर में बन्दूक थमाई
बम की सारी चतुराई
जो सबसे बड़ी बुराई
अब कैसे थमे लड़ाई
क्यों कर बैठे शैतानी ?
[सैंट जॉन :कनाडा :२६.११.२०११]

Thursday, November 17, 2011

डाक्टर अनाक्न्द के दो बालगीत

भीगी बिल्ली
दादा जी तबियत के अक्खड़
जब बोलेन तब तोड़ें लक्कड़
पर नातिन की अमृत वाणी
सुनते ही हों पानी पानी
नातिन कहती बनते घोड़ा
बरसाती फिर फटाफट कोड़ा
झटपट झटपट पहुंचें दिल्ली
बन जाते फिर भीगी बिल्ली
हाथ न आये जूता
जूता तो बस जूता
कर बैठे जब खूता
विश्वयुद्ध हो अगला
समझो उसे न पगला
नाक कान जब काटे
दुश्मन छक्के छूटे
चुपके से घर आये
कोने में छिप जाये
ढूढें सब जब जूता
हाथ न आये जूता
[सैंट जॉन :कनाडा :२१.१० २०११]

Sunday, November 13, 2011

सबके हाथ किताब

दादा जी के हाथ किताब
दादी जागी
बिल्ली भागी
गरम गरम टी
दादा मांगी पीकर थामी हाथ किताब
खाना खाया
चुन्ना मुन्ना
मम्मी पप्पा
दादी दादा
खाकर दादा पढ़ें किताब
सबका बस्ता
अपना अपना
हमने सिखा
सबने सीखा
सबके हाथों हाथ किताब
[सैंट जॉन :कनाडा :१२.११ २०११]

Saturday, November 12, 2011

बतला गुडिया रानी

बतला गुड़िया रानी ,किससे सुनूँ कहानी ?
कहतीं हूँ मैं सच सच
मत करना तुम किच किच
बहुत दूर रहतीं हैं
मेरी नानी सुचमुच
मैं कहतीं हूँ कुछ कुछ मत समझो नादानी
चौका चूल्हा खटपट
बनता खाना झटपट
दादी हाथ थमता
दिन कट जाता सरपट
दादा कलम छोड़ें देख देख हैरानी

डैड माम का दफ्तर
सारे दिन का चक्कर
लाते थकतें होंगे
नून तेल घी शक्कर
इसीलिए जिद मेरी गुड़िया कहो कहानी
[सैंट जॉन :कनाडा :०९ .११.२०११]

Wednesday, November 2, 2011

डाक्टर आनंद के दो शिशु गीत



मूँछ मूँछ ,भई, मूँछ
जिनकी ऊंची मूँछ
उनकी होती पूँछ
मूँछ मूँछ भई मूँछ
जिनकी नीची मूँछ
उनकी हो ना पूँछ
पूँछ पूँछ भई पूँछ
जिनकी कटती पूँछ
पूँछ मूँछ हो छूँछ
दो
कान कान भई कान
सुन सकते जो कान
जमा सकें वे ध्यान
कान कान भई कान
बहरें हों जो कान
छिन्न भिन्न हो ध्यान
छिन्न भिन्न हो ध्यान
जमा सकें ना ध्यान
परिसीमित हो ज्ञान
[सैंट जॉन :कनाडा :०२.११.२०११]

पूँछ मूँछ हो छूँछ

मूंछ मूँछ ,हो ,मूंछ
जिनकी ऊँची हो मूँछ