Friday, March 9, 2012

घर आँगन की किलकारी

                 घर आँगन की किलकारी
पीट रहीं हैं दादी नानी
चारों ओर ढिंढोरा
घर आँगन की है किलकारी
सोनीरा सोनीरा !

आओ सखी सहेली देखो
उड़नपरी सोनीरा
ऐसा लगता घर आँगन में
जैसे हुआ सवेरा
आनन् फानन अनुगूंजों ने
सबका सार बटोरा...

भनक पडी जब छै ऋतुओं के
कुसुम  कली    सोनीरा
चमक पड़े ममता से आनन्
जैसे चमके हीरा
ताली बजा कर नाँची
बजे ढोल मजीरा ...

क्षिति जल पावक गगन समीरा
बोले सुन सोनीरा.
चिंता मत करना दादी
नानी की सोनीरा
भर  देंगे हम आशीषों से
छूछा धरा कटोरा ...
[सैंट जॉन :कनाडा :२२.१२.२००२]