Friday, September 30, 2011

निकले करने सैर

अमेरिका का हूस्टन शहर
निकले करने सैर
लम्बी चौडीं सडको पर भी
रिंगें गाड़ी बैल
इतने वाहन धूमस काटें
चलना मुश्किल गैल
लाल बत्तियाँ रोक रोक कर
पूँछें सबकी खैर
डाउन टाउन में भी डाउन
हाल सुरंगें पूँछें
सातू नानू लगे नाचने
बैरों की लख मूंछें
पैसों का है खेल यहाँ सब
ना दोस्ती ना व्वैर
चारों ओर खडीं दीवारें
धरे अंगदी पाँव
आखें चकाचौंध हो जातीं
देख अनूठा गाँव
पूँछ रहा है गरीब-गुरबा
कहाँ धरतें हम पाँव
[हूस्टन :२०.०८.२०११]

Monday, September 19, 2011

प्रिय सिद्धांत और प्रिय शौर्य के शुभ जनम दिवस के अव सर पर

श्री उमेश रश्मि रोहतगी की नविन कृति "भारत समस्याएँ" ककी विषय सूचि से गुजरा तो उसके छे अध्धायों में सहेजे / समेटे विभिन्न विषयों से अवगत हुआ। ह्हरेक में आपने जीवन में जो कुछ देखा सुना ब्भोगा और जीवन में उतरा उसे शब्दों के माध्यम से जन गन मन के लिए धरोहर के रूप मैं सोंपने का विशिष्ट उपक्रम किया है
विषय सामान्य होते हुए भी इतने उपयोगी हैं की उनमें सुखी जीवन की सफलता के मंत्र गुथे हैं, उज्वल भविष्य के पथप्रदर्शक हैंविशेष उल्लेखनीय ततो यह है की अमेरिका में रह कर भारत मैं की चिंताओं की चिंता करना उनके समाधान खोजना हरेक के लिए अनुकर्णीय हैजो निजी स्वार्थों को तिलांजलि देकर ही संभव हैइसलिए उनके ऊपर चरितार्थ होता है
: पानी बाढ़े नाव में घर में बाढ़े दाम : दोनों हाथ लिचिये ये सज्जन को काम।
अथवा परोपकारं सताम्विभुती
साथ ही अमेरिका में भी मानवीय हितो की सुरक्षा में सपरिवार लगे रहना कम महत्व की बात नहीं है
संछेप में आपके के क्रतत्व अवं सर्जन में मोलिकता सजीवता का समावेश 'व्विश्वा भावित एक निड्म', 'विश्व वन्धुत्व ke bhaav jhalakte hain ।

Wednesday, September 14, 2011

विश्व महान सिकंदर

उड़ते वायुयान केविन में
बूढें सोते जवान ऊघें
एक दूसरे को ना बूझें
बच्चों को तो चैन नहीं हैं
उनको जैसे रैन नहीं है
खेलें जैसे घर आगन में

नहीं किसी की कुछ भी सुनना
उल्टी खटिया सर पर रखना
उछल कूद बन्दर सी करना
विश्व महान सिकंदर बनना
सभी मुसाफिर हों हैवन में

[
एमिरात ई के -२११ दुबई से हूस्टन :०६.०८.२०११]

बच्चों का अधिकार

खेल कूद है
बच्चों का अधिकार
हुआ ज्ञान का
पर इतना विस्तार

खेलकूद में
पढ़ना हुआ ज़रूरी
वरना साधें सब रह जाँय अधूरी ।
[दुबई हस्टन कांटिनेंटल ई :२१६:०६.०८.२०११]

ओ मम्मी पापा !

ओ मम्मी पापा बात सुनो
सीधी साधी सी बात सुनो
बच्चे पैदा होते अच्छे
सब होते हैं मन के सच्चे
आस पास जैसा वे देखें
वैसा ही वे करना सीखें
इसलिए बनाना हो जैसा
वातावरण दीजिये बैसा
[हुस्तान:केटीअलमोंड कंप :१५.०८.२०११]

नदिया कहे कहानी

माँ घर छोड़ा
बंधन तोड़ा
मन ही मन इठलाती
नदिया बन सुख पाती
गाती कल कल
कहती चल चल
आगे बढ़ती जाती
जीवन राग सुनाती
जैसे बच्चे
होते सच्चे
नदिया कहे कहानी
जैसे दादी नानी
[अहमदाबाद : पध्माकर्नगर ०५.०८ .२०११]

प्यारा भोपाल

प्यारा शहर भोपाल
जिसमें तलैया ताल
बड़ा तलाब विशाल
जिसकी नहीं मिशाल
गंगा जमुनी वाणी
मीठी भाषा पानी
किसी की है ससुराल
किसी की है ननिहाल
रहती मेरी दादी
पहना करती खादी
मंदिर मस्जिद जाती
मुझको पाठ पढ़ाती
[रेलपथ भोपाल से रतलाम :०४.०८ .२०११]