भूत परीक्षा का उतरा छुट्ठी के दिन आए
हंसी खुशी से मामाजी हमको लेने आए
घर आँगन ननिहाल अरे
हंसी खुशी से उछली
घनी भीड़ घिर घिर आई
मिलने को फिर मचली
गाल-हथेली चूमा दे मन ही मन हर्षाए
दूध मलाई खीर पुरी
आगे पीछे घूमें
मनमानी मस्ती बातें
आसमान को चूमें
नाना नानी अधरों पर गीत कहानी छाए
कब कैसे छुट्ठी बीतीं
पता नहीं चल पाया
सबके चेहरे हुए उदास
बापिस घरं जब आया
सब घर ने हँस हँस पूंछा किसको क्या क्या लाए?
[भरूच:१४.०६.०८]
milan e koइलाने को फिर मचली
गाल हथेली चूमा दे मन ही मन हर्षाए
Saturday, October 24, 2009
Friday, October 23, 2009
नाव हमारी है कागज की
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
धूपदान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भीगीं
ghr aangn में पानी पानी
रेनकोट छतरी चिल्लाई
नाव कर रही अगवानी
नाव हमारी कागज़ की
अजब कहानी वरिश ki
दौडे राही इधर उधर को
भींग ण जाए कपड़े लत्तेपेड़ों कीछाया में ठिठकेबचा रहे मिलजुलकर पत्ते खाली हाथों बादल भागे खर से सर से जैसे सींग faili गंध सरीली भीनीं बिखरी ज्यों धरती पर हींग टप टप बूंदों में खत्म कहानी अजब कहानी वारिश ki [panjim : 29.06.88] :
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
धूपदान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भीगीं
ghr aangn में पानी पानी
रेनकोट छतरी चिल्लाई
नाव कर रही अगवानी
नाव हमारी कागज़ की
अजब कहानी वरिश ki
दौडे राही इधर उधर को
भींग ण जाए कपड़े लत्तेपेड़ों कीछाया में ठिठकेबचा रहे मिलजुलकर पत्ते खाली हाथों बादल भागे खर से सर से जैसे सींग faili गंध सरीली भीनीं बिखरी ज्यों धरती पर हींग टप टप बूंदों में खत्म कहानी अजब कहानी वारिश ki [panjim : 29.06.88] :
कम्प्यूटर जी !
कम्प्यूटर का युग ऐसा जी
मुट्ठी में दुनिया लाया जी
जादू भरा पिटारा
विपुल ज्ञान भंडारा
कान खड़े हो जाते
माउस करे इशारा
आनन फानन में देखो जी
जो चाहो वो ही पायो जी
चाहे गाना सुनना
अथवा खेल खेलना
सिमसिम से खुल जाता
पढ़ना लिखना गुनना
विश्वकोष बनकर छाओ जी
भूलभुलैया भरम जाल भी
ताजी खबरें लाता
इच्छित उत्तर भाता
नहीं असम्भव कुछ भी
संभव कर दिखलाता
अब और कहीं क्यों जाओ जी
सब कुछ कम्प्यूटर लाओ जी
[भरूच :१५.०६।08]
मुट्ठी में दुनिया लाया जी
जादू भरा पिटारा
विपुल ज्ञान भंडारा
कान खड़े हो जाते
माउस करे इशारा
आनन फानन में देखो जी
जो चाहो वो ही पायो जी
चाहे गाना सुनना
अथवा खेल खेलना
सिमसिम से खुल जाता
पढ़ना लिखना गुनना
विश्वकोष बनकर छाओ जी
भूलभुलैया भरम जाल भी
ताजी खबरें लाता
इच्छित उत्तर भाता
नहीं असम्भव कुछ भी
संभव कर दिखलाता
अब और कहीं क्यों जाओ जी
सब कुछ कम्प्यूटर लाओ जी
[भरूच :१५.०६।08]
चन्दा मामा
चन्दा मामा तुम लगते हो
माखन मिश्री गोला
घटना बढना रूप बदलना
लगे उधारी चोला
घर से सूरज दादा निकले
लेकर अपना खाता
टकरा जायं राह में दादा
तुमको ना यह भाता
आँख मिचौनी खेला करते
नहीं पकड़ में आते
चांदीं के सिक्कों में ढलकर
सबका मन ललचाते
दादा के कर्जा के डर से
बहुरुपिया बन जाते
और अमावस की गोदी में
चुपके से छिप जाते
[भोपाल:२०.०८.०८]
Subscribe to:
Posts (Atom)