Saturday, October 24, 2009

छुट्ठी के दिन

भूत परीक्षा का उतरा छुट्ठी के दिन आए
हंसी खुशी से मामाजी हमको लेने आए
घर आँगन ननिहाल अरे
हंसी खुशी से उछली
घनी भीड़ घिर घिर आई
मिलने को फिर मचली
गाल-हथेली चूमा दे मन ही मन हर्षाए
दूध मलाई खीर पुरी
आगे पीछे घूमें
मनमानी मस्ती बातें
आसमान को चूमें
नाना नानी अधरों पर गीत कहानी छाए
कब कैसे छुट्ठी बीतीं
पता नहीं चल पाया
सबके चेहरे हुए उदास
बापिस घरं जब आया
सब घर ने हँस हँस पूंछा किसको क्या क्या लाए?
[भरूच:१४.०६.०८]


milan e koइलाने को फिर मचली

गाल हथेली चूमा दे मन ही मन हर्षाए





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