Thursday, June 21, 2012

कावा काशी का सार

                                     कावा  काशी  का सार
                    ईश्वर  का अवतार हूँ मैं
मुझे न चिंता बीते कल की
मुझे न चिंता भावी कल की
जीता हूँ मैं वर्तमान में
बांटूं खुशियाँ  घर आँगन में
                  माँ बापू का प्यार हूँ मैं
भूंख लगे तो रोना -धोना
जब सोना तो सोना सोना
चुटकी चुम्बी से होयूं
टेड़ी भौहें देखू रोऊँ
                 प्रवृतियों का आगार हूँमैं
मेरे दुःख का ताना बाना
सारे घर का दर्द तराना
समय समाज सभी को चिंता
भागा रोग हुई निश्चिन्ता
               खुशियों का उपहार हूँ मैं  
जिस घर का हो आँगन सूना
बाँझ कोख का दुःख हो दूना
मैं भर दूं खुशियों से झोली
रोज़ मने दीवाली होली
             काबा काशी सार हूँ मैं
[भोपाल:20.06.2012]