Friday, October 23, 2009

चन्दा मामा

चन्दा मामा तुम लगते हो
माखन मिश्री गोला
घटना बढना रूप बदलना
लगे उधारी चोला
घर से सूरज दादा निकले
लेकर अपना खाता
टकरा जायं राह में दादा
तुमको ना यह भाता
आँख मिचौनी खेला करते
नहीं पकड़ में आते
चांदीं के सिक्कों में ढलकर
सबका मन ललचाते
दादा के कर्जा के डर से
बहुरुपिया बन जाते
और अमावस की गोदी में
चुपके से छिप जाते
[भोपाल:२०.०८.०८]

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