Wednesday, September 14, 2011

नदिया कहे कहानी

माँ घर छोड़ा
बंधन तोड़ा
मन ही मन इठलाती
नदिया बन सुख पाती
गाती कल कल
कहती चल चल
आगे बढ़ती जाती
जीवन राग सुनाती
जैसे बच्चे
होते सच्चे
नदिया कहे कहानी
जैसे दादी नानी
[अहमदाबाद : पध्माकर्नगर ०५.०८ .२०११]

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