Sunday, July 28, 2013

भारत में छै ऋतुएँ

भारत में छै ऋतुएँ
हर मौसम का राग विराग
अपनी ढपली अपना राग
     फूलों से झोली भर जाए
     कोयल भौरा  गीत सुनाए
    महक उठे वन उपवन कणकण
    ऋतुओं में ऋतुराज कहाए
  अवनी अम्वर गाये फाग
अपनी ढपली अपना राग
     धरा गगन में गर्मी छाये
     धूप बबंडर आँधी आये
    खोजे छाया में भी छाया
    जड़  चेत में प्यास जगाये
सूरज उगले पल पल आग
हर मौसम का राग विराग
      घन घमंड विजली गुर्राए
    बिरहिन  का जियरा घबराए
     उफनाए सब ताल  तलैया
    सब छानी छप्पर   चिचियाये 
झींगुर दादुर जागे भाग
हर मौसम का राग विराग
      वर्षा बाद शरद ऋतु आई
      ओढें काँस सफ़ेद रजाई
दीपक तम के धोये दाग़
हर मौसम के राग विराग
      शिशिर पाँव जब फैलाए
     घर आँगन बरात सज आए
    बाबुल का घर करे बिदाई
    आंसू सुख दुःख राग सुनाए
सोना चांदी हँसे सुहाग
हर मौसम का राग विराग
    दिन छोटे हों लम्बी रातें
    तोता मैना किस्सा बातें
   घुटने पेट से करें लड़ाई
   माघ पूस की तीखी घातें  
ठिठुरन सिकुडन उड़ें बिहाग
हर मौसम का राग विराग
[भरूच :०७. ०३. २००९.] 
 




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