भारत में छै ऋतुएँ
हर मौसम का राग विराग
अपनी ढपली अपना राग
फूलों से झोली भर जाए
कोयल भौरा गीत सुनाए
महक उठे वन उपवन कणकण
ऋतुओं में ऋतुराज कहाए
अवनी अम्वर गाये फाग
अपनी ढपली अपना राग
धरा गगन में गर्मी छाये
धूप बबंडर आँधी आये
खोजे छाया में भी छाया
जड़ चेत में प्यास जगाये
सूरज उगले पल पल आग
हर मौसम का राग विराग
घन घमंड विजली गुर्राए
बिरहिन का जियरा घबराए
उफनाए सब ताल तलैया
सब छानी छप्पर चिचियाये
झींगुर दादुर जागे भाग
हर मौसम का राग विराग
वर्षा बाद शरद ऋतु आई
ओढें काँस सफ़ेद रजाई
दीपक तम के धोये दाग़
हर मौसम के राग विराग
शिशिर पाँव जब फैलाए
घर आँगन बरात सज आए
बाबुल का घर करे बिदाई
आंसू सुख दुःख राग सुनाए
सोना चांदी हँसे सुहाग
हर मौसम का राग विराग
दिन छोटे हों लम्बी रातें
तोता मैना किस्सा बातें
घुटने पेट से करें लड़ाई
माघ पूस की तीखी घातें
ठिठुरन सिकुडन उड़ें बिहाग
हर मौसम का राग विराग
[भरूच :०७. ०३. २००९.]
हर मौसम का राग विराग
अपनी ढपली अपना राग
फूलों से झोली भर जाए
कोयल भौरा गीत सुनाए
महक उठे वन उपवन कणकण
ऋतुओं में ऋतुराज कहाए
अवनी अम्वर गाये फाग
अपनी ढपली अपना राग
धरा गगन में गर्मी छाये
धूप बबंडर आँधी आये
खोजे छाया में भी छाया
जड़ चेत में प्यास जगाये
सूरज उगले पल पल आग
हर मौसम का राग विराग
घन घमंड विजली गुर्राए
बिरहिन का जियरा घबराए
उफनाए सब ताल तलैया
सब छानी छप्पर चिचियाये
झींगुर दादुर जागे भाग
हर मौसम का राग विराग
वर्षा बाद शरद ऋतु आई
ओढें काँस सफ़ेद रजाई
दीपक तम के धोये दाग़
हर मौसम के राग विराग
शिशिर पाँव जब फैलाए
घर आँगन बरात सज आए
बाबुल का घर करे बिदाई
आंसू सुख दुःख राग सुनाए
सोना चांदी हँसे सुहाग
हर मौसम का राग विराग
दिन छोटे हों लम्बी रातें
तोता मैना किस्सा बातें
घुटने पेट से करें लड़ाई
माघ पूस की तीखी घातें
ठिठुरन सिकुडन उड़ें बिहाग
हर मौसम का राग विराग
[भरूच :०७. ०३. २००९.]
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